अमेरिका कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटने में अपनी नाकामी के कारण तीखी आलोचना का सामना कर रहा है. अमेरिका में कोरोना वायरस के 240,000 से ज्यादा केस सामने आए हैं, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है. अमेरिका में अब तक इस जानलेवा वायरस की चपेट में आने से 6 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
अमेरिका में कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा गुरुवार को तब नए स्तर पर पहुंच गया, जब अधिकारियों ने बताया कि एक ही दिन में इस महामारी से 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई
कोरोना से निपटने में अमेरिका क्यों फेल?
बहरहाल, अमेरिकी विदेशी मामलों के विश्लेषक फरीद ज़कारिया का कहना है कि विकेंद्रीकृत संघीय ढांचे के कारण अमेरिका कोरोना वायरस को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में विफल रहा है.
इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के साथ विशेष बातचीत में फरीद ज़कारिया ने कहा, 'अमेरिकी सिस्टम बहुत ही विकेंद्रीकृत है. राज्य सामाजिक जिम्मेदारी में केवल अपनी भूमिका का एक हिस्सा निभाता है, और उस सिस्टम में मौजूद राष्ट्रपति और व्हाइट हाउस जब तक सक्रिय नहीं होते हैं, तब तक राज्य को अच्छी तरह से काम करना मुश्किल होता है.'
फरीद जकारिया कहते हैं कि, 'अमेरिकी संघवाद का विकेंद्रीकृत ढांचा इसकी कमजोरी है. संकट के समय एक मजबूत केंद्र सरकार होना महत्वपूर्ण है, जैसा कि भारत में है. मोदी अपने देश में लॉकडाउन करने में सक्षम हैं, लेकिन ट्रंप के पास ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है.'
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फरीद ज़कारिया ने कहा, 'संघीय सरकार में कई अलग-अलग विभाग हैं. मसलन कांग्रेस, व्हाइट हाउस, सभी 50 राज्य, और फिर नौकरशाही की भी कई परतें हैं. ऐसे में अगर व्हाइट हाउस ठीक से सहयोग नहीं करता है तो कुछ भी करना मुश्किल है.'
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के खतरे को गंभीरता से नहीं लेने की वजह से आलोचना के घेरे में हैं. फरीद ज़कारिया कहते हैं, 'आपके पास ट्रंप जैसा राष्ट्रपति है जो मामले को गंभीरता से नहीं लेता है, जिसने महत्वपूर्ण इकाइयों को भंग कर दिया और लंबे समय तक समस्या को कमतर करके देखता रहा.'